कैसो सुंदर अवसर आयो है, आयो हैज्ञान स्वभावी आत्मा, मेरे मन को भायो है ॥भूतकाल प्रभु आपका, वह मेरा वर्तमान,वर्तमान जो आपका, वह भविष्य मम जान ॥रूप तुम्हारा सबसे न्यारा, भेद ज्ञान करना,जौलों पौरुष थके न तौलों, उद्यम सो चरना ॥अनुभव चिंतामणी रतन, अनुभव है रस कूप,अनुभव मारग मोक्ष को, अनुभव मोक्ष स्वरूप ॥जो कर्त्ता सो भोक्ता, साथी सगा न कोय,धर्म छुडावे बंध ते, धर्म धरो सब कोय ॥निर्मल ध्यान लगाय कर, कर्म कलंक नशाय,भये सिद्ध परमात्मा, वन्दूं मन वच काय ॥