जाग जाग सुमति का प्यारा, काहे तू सोयो रेचेतन जाग रे ॥टेक॥अष्ट करममय मदिरा पीकर, भ्रमत महल में सोयो रेकुमति की नारी लगे पियारी, तासंग सोयो रे ॥चेतन...१॥चार गति का पलंग बिछाया, तकिया झूठ लगाया रेमोह नींद में मगन होयकर, समय गंवाया रे ॥चेतन...२॥विषय लूटरा धरम रतन को, निशदिन लूटा जाए रेअब तो चेत काहे सोयो रे, फिर पछतावे रे ॥चेतन...३॥सप्त व्यसन से करी मित्रता, तू जाने सुखदायी रेजो कोई मूरख खाय धतूरा, कंचन माने रे ॥चेतन...४॥