तू ही शुद्ध है, तू ही बुद्ध हैतू ही गुण अनन्त की खान हैसुन चेतना अब जागना, अब जागना सुन चेतना ॥टेक॥कोई कर्म तुझको छुआ नहींतुझे कुछ भी तो हुआ नहींतू ही ज्ञेय ज्ञाता ज्ञान हैअंतर में तू भगवान है ॥१..सुन॥नि:कलंक है निष्काम हैनिर्वेद है निर्विकार हैनिर्दोष है निष्पाप हैनिर्बाध निराधार है ॥२..सुन॥मेरे ज्ञान में बस ज्ञान हैतू सूर्य रश्मि खान हैउपयोग में उपयोग हैतू बन रहा अनजान है ॥३..सुन॥कर्तत्व भार उतार लेनिज आत्म शक्ति निहार लेअकर्ता तू अजर अमरतू ही अनादि नाथ है ॥४..सुन॥तेरी आत्मा ध्रुव सिद्ध जोपरमात्मा से कम नहींतू एक ज्ञायक भाव बसपरिपूर्ण प्रभुतावान है ॥५..सुन॥