नेमि पिया राजुल पुकारे तोरा नाम ।नौ भव की प्रीति मेरी हुई बदनाम ॥टेक॥गिरि को गए पशुओं का सुन कृंदनराजुल को डाल गए उलझन में भगवन ॥मैं भी अब जपूँ निज आतम राम ।नौ भव की प्रीति मेरी हुई बदनाम ॥१॥कजरा लगाऊँ न बिंदिया लगाऊँगी मांगों में सिंदूर अब ना भराउंगी ॥मेहंदी और महावर से क्या मुझको काम ।नौ भव की प्रीति मेरी हुई बदनाम ॥२॥पीछी मंगा दो कमंडल भी ला दो माताजी चल के मोहे दीकशा दिला दो ॥वन में रहूँगी मैं तो महलों से क्या काम ।नौ भव की प्रीति मेरी हुई बदनाम ॥३॥कहे माता राजुल ये जिद क्यों पड़ी है ।नेमि से क्या तेरी भाँवर पड़ी है ॥नेमि से लड़के यहाँ अच्छे तमाम ।नौ भव की प्रीति तेरी हुई बदनाम ॥४॥किसी और को कंत अब ना कहूँगी । उनकी रही उनके मारग चलूँगी ॥मुझको तो अब अपने आतम से काम ।नौ भव की प्रीति को देती हूँ विराम ॥५॥