ममता की पतवार ना तोडी आखिर को दम तोड दियाइक अनजाने राही ने शिवपुर का मारग छोड दिया ॥नर्क में जिसने भावना भायी मानुष तन को पाने कीभेष दिगम्बर धारण करके मुक्ति पद को पाने कीलेकिन देखो आज ये हालत ममता के दीवाने कीचेतन होकर जड द्रव्यों से कैसे नाता जोड लिया ॥इक अनजाने राही ने शिवपुर का मारग छोड दिया ॥१॥ ममता के बन्धन मे बंध कर क्या युग युग तक सोना है मोह अरी का सचमुच इस पर हो गया जादू टोना हैचेतन क्या नरतन को पाकर अब भी यों ही खोना हैमन का रथ क्यों शिवमारग से कुमारग पर मोड दिया ॥इक अनजाने राही ने शिवपुर का मारग छोड दिया ॥२॥मत खोना दुनिया में आकर ये बस्ती अनजानी हैजायेगा हर जाने वाला जग की रीति पुरानी हैजीवन बन जाता यहां 'पंकज' सबकी एक कहानी हैचेतन निज स्वरूप देखा तो दुख का दामन तोड दिया ॥इक अनजाने राही ने शिवपुर का मारग छोड दिया ममता की पतवार ना तोडी आखिर को दम तोड दिया ॥३॥