ये प्रण है हमारा, ना जन्में दुबारा,क्योंकि विषयों में, आनन्द हमको आता नहीं ।अरे! इस झूठे जग में, रहना हमको भाता नहीं ॥टेक॥जिन-जिन संयोगों में हमने, अपनापन दिखलाया ।भ्रमबुद्धि से हमने खुद, अपना संसार बढ़ाया ।भव-भव से हो छुटकारा, संकल्प हमारा ॥१ क्योंकि...॥द्रव्य क्षेत्र अरु काल भाव से, मैं इस जग से न्यारा ।छ: द्रव्यों से भिन्न चाल है, मेरा रूप निराला ।चैतन्य प्रभु हमारा, जब से हमने निहारा ॥२ क्योंकि...॥धन्य धन्य है कुन्दकुन्द ने, समयसार दिखलाया ।कहान गुरु है उपकारी, हमको भगवान बताया ।निर्ग्रन्थ धर्म है प्यारा, लेगें उसका सहारा ॥३ क्योंकि...॥