लुटेरे बहुत देखे हैं मगर, तुमसा नहीं देखा । सताते चोट दे-देकर मगर, रोने नहीं देते ॥टेक॥
अजब रिश्ते लुटेरों के, अजब नाते लुटेरों के । कोई भाई कोई बेटे, कोई माँ-बाप बन बैठे ॥ लुटेरे बहुत देखे हैं मगर तुमसा नहीं देखा ॥१॥
किए गर प्रेम पत्नी से जवानी ठगनी ने लूटा । समझने भी न पाया था की ठगने आ गया बेटा ॥ लुटेरे बहुत देखे हैं मगर तुमसा नहीं देखा ॥२॥
ये टूटी सांस की माला, लुटेरे सब ये रोते हैं । ये क्यूँ रोते हैं हम इनको भली-भांति समझते हैं ॥ मैं कर्जदार हूँ इनका ये साहूकार बन बैठे । लुटेरे बहुत देखे हैं मगर तुमसा नहीं देखा ॥३॥
लगा ले प्रेम आतम से, ये जीवन जाने वाला है । ये हीरा सा जनम तेरा, न फिर ये हाथ आएगा ॥ जिन्होने आत्मा ध्याया वो सिद्धालय में बैठे हैं । लुटेरे बहुत देखे हैं मगर तुमसा नहीं देखा ॥४॥