हम तो विषयों की लहर में बह गये, मोक्ष का मारग मिला पर रह गये ।भूल बैठे अपने कष्टों की कथा, मार वो नरकों की हम सब सह गये।दीन पशु का जन्म पाया रो लिया, सागरों आंसू हमारे बह गये ।देवगति चारित्र बिन सूनी रही।हम वहां असमर्थ बनकर रह गये ।नर जन्म पाकर के पुजारी सो गया, सुन सका नहीं बोल सद् गुरु कह गये।हम तो विषयों की लहर में बह गये । मोक्ष का मारग मिला पर रहे गये ॥