आज सी सुहानी सु घड़ी इतनी,कल ना मिलेगी ढूँढ़ो चाहे जितनी ॥टेक॥आया कहाँ से है जाना कहाँ, सोचो तुम्हारा ठिकाना कहाँ ।लाये थे क्या है कमाया यहाँ, ले जाना तुमको है क्या-क्या वहाँ ॥धारे अनेकों है तूने जनम, गिनावें कहाँ लो है आती शरम ।नरदेह पाकर अहो पुण्य धन, भोगों में जीवन क्यों करते खतम ॥प्रभू के चरण में लगा लो लगन, वही एक सच्चे हैं तारणतरण ।छूटेगा भव दु:ख जामन मरण, 'सौभाग्य' पावोगे मुक्ति रमण ॥