आतम अनुभव कीजै होजनम जरा अरु मरन नाशकै, अनंतकाल लौं जीजै हो ॥टेक॥देव धरम गुरु की सरधा करि, कुगुरु आदि तज दीजै हो ।छहौं दरब नव तत्त्व परखकै, चेतन सार गहीजै हो ॥आतम अनुभव कीजै हो ॥१॥दरब करम नो करम भिन्न करि, सूक्ष्मदृष्टि धरीजै हो ।भाव करमतैं भिन्न जानिकै, बुधि विलास न करीजै हो ॥आतम अनुभव कीजै हो ॥२॥आप आप जानै सो अनुभव, 'द्यानत' शिवका दीजै हो ।और उपाय वन्यो नहिं वनि है, करै सो दक्ष कहीजै हो ॥आतम अनुभव कीजै हो जनम जरा अरु मरन नाशकै, अनंतकाल लौं जीजै हो ॥३॥