आत्म चिंतन का ये समय आया,पाके नरतन क्या खोया क्या पाया ॥टेक॥हम जिसे ज्ञान-ज्ञान कहते हैं (2)मन तो इंद्रियों में ही भरमाया ॥पाके...१॥देखो पर्यायें तो है क्षणभंगुर (२)फिर भी पर्यायों में ही इतराया ॥पाके...२॥तू तो टंकोत्कीर्ण ज्ञायक है (2)बस यही तू समझ नहीं पाया ॥पाके...३॥एक क्षण निज में ठहर जाओ (२)बस यही आखिरी समय आया ॥पाके...४॥