आनंद स्रोत बह रहा और तू उदास है,अचरज है जल में रहकर भी, मछली को प्यास है ॥टेक॥उठ जाग चक्षु खोल के तू देख तो जरा,जिसकी तुझे तलाश है वह तेरे पास है ॥१॥गन्ने में जो मिठास है, फूलों में सुवास है,निज आतम में तेरे ही परमात्म वास है ॥२॥कुछ तो समय निकाल आत्म शुद्धि के लिये,नर जन्म का ये लक्ष न, केवल विलास है ॥३॥आतम प्रभु को भूलकर, दूषित है मन तेरा,प्रभु का न स्मरण तुझे और जग से आस है ॥४॥