ऐ आतम है तुझको नमन, शुद्धातम है तुझको नमन ।वीरवाणी का हम, जिनवाणी का हम, सदा करते रहें चिंतवन ॥टेक॥राग और द्वेष हममें भरा, और मिथ्यात्व से मन भरा ।क्रोध और मान में, आतम अज्ञान में, अपना जीवन अभी तक रहा ॥अब हटाएं सभी आवरण, और रखूँ धर्म पथ पर कदम ॥वीर...१॥आज जीवन हुआ दुःखमय, ये तो संघर्ष का है समय ।हर तरफ भ्रांति है, हर तरफ क्रांति है, अपना जीवन बने शांतिमय ॥निज को निज से मिलाएंगे हम, ऐसे सिद्ध पद को पाएंगे हम ॥वीर...२॥ऐसे जिनवर प्रभु को नमन, आत्मा में सदा बस रमण ।चली चलहुँ न हो, तुम मुक्तिश्री, जिन ज्ञान की ले के शरण ॥जिनवाणी को पढ़कर के हम, अब सुधारेंगे अपना जनम ॥वीर...३॥