कौलो कहूँ स्वामी बतियाँ
Karaoke :
कौलो कहूँ स्वामी बतियाँ भ्रमण की
बतियाँ भ्रमण की सुन छतिया फटत है ॥टेक॥
नारक दु:ख सुन छतियाँ फटत है
तिर्यञ्चनि दु:ख जैसे नदियां सावन की ॥कौलो...१॥
मानुष गति में इष्ट-अनिष्ट जु,
कष्ट होत जु नाहीं सहन की ॥कौलो...२॥
देवन में पर-संपत्ति देखत,
झाल उठे जैसे अगनी पवन की ॥कौलो...३॥
चारों गति में दु:ख अनादि को,
ज्ञान मांहि तुम जानों सबनकी ॥कौलो...४॥
त्यारो भव-सागर से मुझको,
नाव गही प्रभु तुमरे चरण की ॥कौलो...५॥