गुरुवर जो आपने बताया, वो अनुभव में आया,श्रमण बन जो पली,यादों में पल पल आये, वही मन भाये,निजातम की कली ॥टेक॥माता पिता पुत्र अनुरागा, तजूं मोह की, कहानिया,देह के है रिश्ते मेरे भैया, दुःख की, निशानियाँ ।संयम का पहनूँ गहना, सजूँ दिन रैना,ये शिवमग की गली ॥१ गुरुवर...॥पंच परावर्तन हर जनम का, मिली है दुनियां, मुझे नई ,शुद्धता से रिश्ता मैने जोडा, मानों मुक्ति ही, मिल गई,ज्ञायक का जिन को पता है, परम देवता है, वो छवि निज तत्त्व की ॥२ गुरुवर...॥