चेतन चेत बुढ़ापो आयो रे, आयो रेसूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥टेक॥आछो खायो, आछो पहरियो, खूब उड़ाई मोजवो दिन नजरा नहीं देखे तो, मन में आवे रोज ।यो तो भुगते बिन नहीं छूटे रे, छूटे रेसूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥१॥नैना नजर गेलो नहीं सूझे, दाँत हो गया खोला,लेई सके नहीं गंध नाक से, कान हो गया बोला ।अब तो सुनता ढ़ोल बजावे रे, बजावे रेसूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥२॥बुंआ छोड़ियो कांण कायदो, कब मरसी यो डाकी,पहर सकी न ओढ़ सकी मैं, हिवड़ा कर कर थाकी ।मैं तो कदी न सुख से खायो रे, खायो रेसूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥३॥बेटा चाले आंका-बांका, बुआ का वो भरमायारोटी पानी सी ओढ़न को, पूछ करे नहीं भाया ।भाया कहतो मने घणो सतावे रे, सतावे रे,सूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥४॥करड़ी रोटी चबे न अब तो, नर्म खीचड़ी भावे,खारो खाटों खाय सकूं न, मन मीठा पर जावे ।म्हारी सुनना म्हारा जाया रे, जाया रे सूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥५॥घर की नारी देख देख कर, फर-फर मुंडा मोड़ेछोरा-छोरी केवण लाग्या, मरे न मांचो छोड़ेम्हारो जीवन होग्यो दुखियारो रे, दुखियारो रेसूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥६॥कपड़ा की सुध-बुध न रहवे, बिगड्यो सारो ढांचोभरण भरण ये करे मांखियाँ, पोल पटकियो मांचोअब तो गंदो जीव बतावे रे, बतावे रेसूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥७॥ गोड़ा से चाल्यो नहीं जावे, हाथ में लीनी गेंडीथर-थर धूजे हाथ-पांव और कमर हो गई टेढ़ीहँसती छोरा और लुगांया रे, लुगांया रेसूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥८॥चेत होय तो चेत मानवा, मरबा का दिन आया'माधव' कहे गाफिल रहने का, अवसर नहीं है भायाआखिर सिर धुन-धुन पछतासी रे, पछतासी रेसूखी पिंजर हो गई थारी कंचन काया रे ॥९॥