धोली हो गई रे काली कामली माथा की थारीधोली हो गई रे काली कामली,सुरज्ञानी चेतो, धोली हो गई रे काली कामली ॥टेर॥वदन गठीलो कंचन काया, लाल बूँद रंग थारोहुयो अपूरव फेर फार सब, ढांचो बदल्यो सारो ॥१...सुरज्ञानी॥नाक कान आँख्या की किरिया सुस्त पड़ गई सारीकाजू और अखरोट चबे नहिं दाँता बिना सुपारी ॥२...सुरज्ञानी॥हालण लागी नाड़ कमर भी झुक कर बणी कबाणीमुंडो देख आरसी सोचो ढल गई कयां जवानी ॥३...सुरज्ञानी॥न्याय नीति ने तजकर जोड़ी भोग संपदा सारीबात-बात में झूठ कपट छल, कीनी मायाचारी ॥४...सुरज्ञानी॥बैठ हताई तास चोपड़ा खेल्यो और खिलायालडा परस्पर भोला भाई फूल्या नहीं समाया ॥५...सुरज्ञानी॥प्रभु भक्ति में रूचि न लीनी नहीं करूणा चितधारीवीतराग दर्शन नहीं रुचियो उमर खोईदी सारी ॥६...सुरज्ञानी॥पुन्य योग 'सौभाग्य' मिल्यो है नरकुल उत्तम प्यारोनिजानंद समता रस पील्यो होसी भव निस्तारोसुरज्ञानी चेतो, धोली हो गई रे काली कामली, माथा की थारीधोली हो गई रे काली कामली माथा की थारी ॥७॥