नर तन को पाकर के, जीवन को विमल कर लो ।शिवपुर के पथिक बनो, नरजन्म सफल कर लो ॥टेक॥न उम्र की सीमा है, न जन्म का है बंधन ।निज में निज अनुभव कर, बन जाओ स्वयं भगवन् ॥निज के वैभव से तुम, निज को ही धनिक कर लो ।शिवपुर के पथिक बनो, नरजन्म सफल कर लो ॥१॥चारों ही गतियों में, चारों ही कषायों ने ।मुझे खूब रुलाया है, तुझे खूब भ्रमाया है ॥अब मानुष तन पाकर, यह जन्म सफल कर लो ।शिवपुर के पथिक बनो, नरजन्म सफल कर लो ॥२॥परद्रव्य परभावों को, तू निज का मान रहा ।निज को तू भूल रहा, पर को निज मान रहा ॥अंतर में दृष्टि बदल, अब भेदज्ञान कर लो ।शिवपुर के पथिक बनो, नरजन्म सफल कर लो ॥३॥