पाना नहीं जीवन को, बद्लना है साधना,तू ऐसा जीवन पावत है, जलना है साधना ॥मूंड मुंडाना बहुत सरल है, मन मुंडन आसान नहीं,व्यर्थ भभूत रमाना तन पर, यदि भीतर का ज्ञान नहीं,पर की पीडा में, मोम सा पिघलना है साधना ॥पाना नहीं जीवन को...मंदिर में हम बहुत गये पर, मन यह मंदिर नहीं बना,व्यर्थ शिवालय में जाना जो, मन शिवसुन्दर नहीं बनापल पल समता में इस मन का ढलना है साधना ॥पाना नहीं जीवन को....सच्चा पाठ तभी होगा जब, जीवन में पारायण हो,श्वास श्वास धडकन धडकन से जुडी हुई रामायण हो,तब सत पथ पर जन जन मन का चलना है साधना ॥पाना नहीं जीवन को....