पाप मिटाता चल ओ बंधू पुण्य कमाता चलओ बंधू रे... भला हो, भलाई कर तू हर घडी हर पलपाप की नैया कभी तर नहीं सकतीपुण्य से मिलती मेरे भाई आत्म शान्तिओss कर काम ऐसे आकाश के तलेधरती पे सदियों (तेरा नाम जो चले) -२ओ बंधू रे... भलाई का अपने मन में निश्चय कर अटल ॥पाप-१॥साधना कठिन करके कहलाया साधूजाल मोह माया का न तोड पाया बंधूओss सारा समय तूने यूं ही खोयातन किया उजला (मन का मैल न धोया) -२ओ बंधू रे... करनी का फ़ल भोगेगा आज नहीं तो कल ॥पाप-२॥कर्म का लेखा कभी टाले न टलेगाजैसा जो करेगा यहां वैसा ही भरेगाओss इस बैरी जग में कोइ न अपनासच्ची बात है ये (सदा याद रखना) -२ओ बंधू रे... किसी से कभी ना करना तू कपट और छल ॥पाप-३॥दान जो लुटाया तूने कहलाया दानीज्ञान जो गुरू से लिया बना बडा ज्ञानीओss गुरु का किया ना आदर सत्कारदान और (ज्ञान तेरा हुआ बेकार) - २ ओ बंधू रे... सेवा कर गुरू की होगा तब जीवन सफ़ल ॥पाप-४॥