पावन हो गई आज ये धरती, कुंदकुंद के नाम से,अरे कण-कण से अब गूंज उठेगी, मुनिराज के नाम से ॥टेक॥समयसार रचनार नमामि, शुद्धातम दातार,मूल संघ के नायक, गुरुवर कुंदकुंद अवतार,चलो जी चलो भक्ति रचायें, मंगलगीत सुनायें,कराता श्रद्धा अविकार, गुरुवर कुंदकुंद अवतार ॥१॥ गौरवर्ण निज आतम में, प्रगटा शुद्धाचार,भाव लिंग मय संत गुरुवर, कुंदकुंद अवतार,चलो जी चलो निज में जायें, सम्यग्दर्शन पायें,जताता स्वानुभूति के द्वार, गुरुवर कुंदकुंद अवतार ॥२॥धन्य-धन्य वे लोग है जो, मंगल कार्य किया,कुंदकुंद मुनिराज का, सपना साकार किया,चलो जी चलो फेरा मिटायें, जीवन सफल बनाये,दिखाता सिद्धों सम आकार, गुरुवर कुंदकुंद अवतार ॥३॥