पुद्गल का क्या विश्वासा, जैसे पानी बीच पताशा ।जैसे चमत्कार बिजली का, और इन्द्र धनुष आकाशा ॥टेक॥झूठा तन धन, झूठा यौवन, झूठा है जग सारा ।झूठा ठाठ है दुनिया में, झूठा है महल में वासा ॥पुद्गल का क्या विश्वासा, जैसे पानी बीच पताशा ॥1॥इक दिन ऐसा होगा लोगों जंगल होगा वासा ।इस तन पर हल चल जाएँगे और पशु चरेंगे घासा ॥पुद्गल का क्या विश्वासा, जैसे पानी बीच पताशा ॥2॥इक बार श्री जिन जी का, भजले तू नाम निराला ।'नवन' कहे क्षण भी न भूलों, जब तक है घट में श्वासाँ ॥पुद्गल का क्या विश्वासा, जैसे पानी बीच पताशा ॥3॥