वीर भज ले रे भाया वीर भज ले(जरा सा) -३ कहना म्हारा मान ले तू वीर भज लेमुठ्ठी बांधे आयो जगत में, हाथ पसारे जासीऔर जरा धरम री कर ले कमाई, या ही आडे आसी ॥जरा-१॥ज्वानी वी अकडाई में तू, टेढो टेढो चालेपर तन्ने इतनी नई मालुम रे, काईं होसी काले ॥जरा-२॥मोह माया में भूल रहा तू, कर रहा थारी म्हारीअरे ज्ञान धरम की बात करे तो, लगती तुझको खारी ॥जरा-३॥छोटी मोटी बनी हवेली यहीं पडी रह जासीऔर दो गज कफ़न को टुकडो तेरी, आखिर साथ निभासी ॥जरा-४॥तू मेहमान है चार दिनां का, मत ना भूले भाईकाल के काजी आऎंगे तब, कंठ पकड ले जासी ॥जरा-५॥हरख हरख कर कहे 'हरखचंद', ये मौका नहीं आसीप्रभू भजन बिन अरे बावले, तू पीछे पछतासी ॥जरा-६॥