मैं राजा तिहुं लोक का और चेतन मेरो नाम ।इन विषयन के कारणे जी नहीं मुझे आराम ॥मिथ्या मोह उदय लावे और मात तात सुत भ्रात ये सब स्वारथ का सगा कोई न आवै काम ॥मैं...१॥पुद्गल धर्म अधर्म है और काल गगन जड़ धाममैं चिन्मूरत आत्मा कैसे मिले मिलाप ॥मैं...२॥सुर नर पशु और नारकी चहुं गति दु:ख अपारलाख चौरासी योन में बहुविध संग कराय ॥मैं...३॥ अलख निरंजन नाम है और मोक्ष हमारा धाम चन्द्र वदन ऐसे नवे निश्चय शुद्ध परिणाम ॥मैं...४॥