मूंजी धरी रहेली पूंजी, पाई साथ न जावेली, पाई साथ न जावेली ओ पाई साथ न जावेली, मूंजी धरी रहेली पूंजी, पाई साथ न जावेली ॥टेक॥खोल हाट बणकर व्यापारी, करी रात दिन मायाचारी, भरी तिजोर्यां तलघर थैल्याँ, काम न आवेली ।मूंजी धरी रहेली पूंजी, पाई साथ न जावेली ॥१॥हाथी घोड़ा मोटर गाड़ी, रतन जड़ाऊ अम्बाबाड़ी, बैठ फिर्यो पी माया मदिरा, तनै भ्रमावेली ।मूंजी धरी रहेली पूंजी, पाई साथ न जावेली ॥२॥ए सत खंड्या महल अटारी, पुत्र पौत्र, दासी घरवाली, स्वार्थ भरी है रिश्तेदारी, तनै भुलावेली ।मूंजी धरी रहेली पूंजी, पाई साथ न जावेली ॥३॥धन के खातिर हो हो भेला, लोक दिखाऊ देसी हेला, दान पुण्य ही शुभ करणी है, साथे जावेली ।मूंजी धरी रहेली पूंजी, पाई साथ न जावेली ॥४॥अन्तर बाहिर शुद्धि कर ले, भोग लालसा मन सूँ हरले, शौच धरम ही जग में पावन, तनै बणावेली ।मूंजी धरी रहेली पूंजी, पाई साथ न जावेली ॥५॥परिग्रह का परिमाण धार ले, वीतरागता हृदय सार ले, समझ श्रेष्ठ 'सौभाग्य' वरण शिव लक्ष्मी आवेली ।मूंजी धरी रहेली पूंजी, पाई साथ न जावेली पाई साथ न जावेली ओ पाई साथ न जावेली ॥६॥