संसार में सुख सर्वदा, काहू को ना दीखे ।कोई तन दुखी, कोई मन दुखी, कोई धन दुखी दीखे ॥टेक॥कोई दुखी औलाद बिन, कोई का सुत जुआरी ।कोई की कुलटा स्त्री, कोई को बीमारी ।खाते दवा नित वैद्य की, नहीं फायदा दीखे ॥कोई ...१॥कोई रात दिन मेहनत करे, नहीं पेट भरता है ।तन पर नहीं है वस्त्र, नंगे पैर फिरता है ।कोई किसी धनवान को, तृष्णा अधिक दीखे ॥कोई...२॥कोई हुकूमत का दुखी, कोई भूखा फिरता है ।कोई किसी की संपदा को, देख जलता है ।परधन हरे ठग, चोर, डाकू, जेल में दीखे ॥कोई...३॥बहु कुञ्ज आँखें अंग, तन से हीन होते हैं ।गूंगे व बहरे तोतले, सब कुछ सहते हैं ।हो जाएँ पराधीन, जिन्हें नेत्रों से ना दीखे ॥कोई...४॥दुखिया दुखी संसार में, सुखिया नहीं पाते ।सुखिया वही संसार में, घर बार तज जाते ।पीछी-कमण्डल के सिवा, परिग्रह ना दीखे ॥कोई...५॥