हम अगर वीर वाणी पर श्रद्धा करें,ज्ञान के दीप जलते चले जाएँगे ॥गर जले ज्ञान के दीप हृदय में तो,मार्ग संयम के खुलते चले जाएँगे ॥टेक॥हमने मुश्किल से पाया है मानव जन्म ।देव तरसे जिसे, ऐसा पाया रतन ॥गर इसे हमने विषयों में, ही खो दिया,भूल पर अपनी हम, खुद ही पछताएंगे ॥हम अगर वीर वाणी पर श्रद्धा करें,ज्ञान के दीप जलते चले जाएँगे ॥१॥अब मिला जिन धर्म, और जिनवर शरण ।गुरु मिले हैं दिगंबर, और अमृत वचन ॥राग से भिन्न ज्ञायक है, अनुभव करो,मार्ग कल्याण के, खुद ही खुल जाएंगे ॥हम अगर वीर वाणी पर श्रद्धा करें,ज्ञान के दीप जलते चले जाएँगे ॥२॥जब नहीं सच्ची श्रद्धा, तो क्या अर्थ है ?इस बिना ज्ञान और, आचरण व्यर्थ है ॥हम पुजारी बने, वीतरागी के तो,कर्म के बंधन, कटते चले जाएंगे ॥हम अगर वीर वाणी पर श्रद्धा करें,ज्ञान के दीप जलते चले जाएँगे ॥३॥