होता विश्व स्वयं परिणाम, कर्ता बनना दुःख का धाम ।। टेक ।। तू नहीं करता पर का काम, पर तेरे नहीं आता काम। तूँ तेरा ही करता काम, तूँ तेरे ही आता काम ।।१।। 'है' बिना नहीं 'नां' का काम, 'नां' बिना नहीं 'है' का काम। 'है' नहीं करता 'नां' का काम, 'नां' नहीं करता 'है' का काम ।।२।। सत् शक्ति है स्वयं महान, जड़ चेतन दोनों भगवान। क्रमबद्ध करते अपना काम, दायें बायें पैर समान ।।३। निज को निज पर को पर जान, निज महिमा में रमता ज्ञान। ज्ञाता दृष्टा सहज महान, चित् ज्योति सुख ज्ञान निधान ।।४।।