जग में प्रभु पूजा सुखदाई ॥टेका॥दादुर कमल पांखुरी लेकर प्रभु पूजा को जाई ।श्रेणिक नृप गज के पग से दबि प्राण तजे सुर जाई ॥जग में प्रभु पूजा सुखदाई ॥१॥द्विज पुत्री ने गिर कैलासे पूजा आन रचाई ।लिंग छेद देव पद लीनो अन्त मोक्ष पद पाई ॥जग में प्रभु पूजा सुखदाई ॥२॥समोसरण विपुलाचल ऊपर आये त्रिभुवन राई ।श्रेणिक वसु विधि पूजा कीनी तीर्थंकर गोत्र बंधाई ॥जग में प्रभु पूजा सुखदाई ॥३॥'द्यानत' नरभव सुफल जगत में जिन पूजा रुचि आई ।देव लोक ताके घर आंगन अनुक्रम शिवपुर जाई ॥जग में प्रभु पूजा सुखदाई ॥४॥