nikkyjain@gmail.com

🙏
श्री
Click Here

किसकी भगति किये हित
Karaoke :

किसकी भगति किये हित होहि, झूठ बात ना भावै मोहि ॥टेक॥

राम भजो दूजो जग नाहिं, आयो जोनीसंकटमाहिं ॥१॥

कृष्ण भजो किन तीनों काल, निरदै ह्वै मार्यो शिशुपाल ॥२॥

ब्रह्मा भजो सर्वजग-व्याप, खोई सृष्टि सह्यो दुख आप ॥३॥

रुद्र भजो सवतैं सिरदार, सब जीवनि को मारनहार ॥४॥

एक रूप को कीजे ध्यान, चिन्ता करै उसे हैरान ॥५॥

भजो गनेश सदा रे! भाय, सो गजमुख परगट पशुकाय ॥६॥

इन्द्र भजो निवसै सुरलोय, सो भी मरै अमर नहिं होय ॥७॥

देवी भजो भजैं सब लोग, बकरे मारैं महा अजोग ॥८॥

भजो शीतला थिर मन लाय, देखो! डॉयनि लड़के खाय ॥९॥

किनहिं न जान्यो अपरंपार, झूठे सरब भगत संसार ॥१०॥

'द्यानत' नाम भजो सुखमूल, सो प्रभु कहां किधौं नभ-फूल ॥११॥



अर्थ : अरे मन ! किसकी भक्ति करें कि जिससे हित होवे? झूठी बात मुझे अच्छी नहीं लगती।

कहते हैं कि राम के अलावा इस दुनिया में दूसरा कोई भजनीय नहीं है, पर उन्होंने तो स्वयं ने ही इस भव में संकट सहे हैं । भव-भ्रमण के संकट सहे हैं ।

कहते हैं कृष्ण को तीनों काल भजो, पर उनने भी निर्दयता से, दयाहीन होकर शिशुपाल का वध किया था।

यदि ब्रह्मा को भजते हैं जो सब जगह व्याप्त बताया जाता है, तो संसार को खोकर वह आप स्वयं दु:खी हो रहा है।

शिव को भजते हैं, जो सब में सर्वोपरि माना जाता है तो वह सब जीवों का सृष्टि का / संहार करनेवाला है ।

किस एक रूप का ध्यान करें, यह ही दुविधा-चिन्ता हैरान करती है।

गणेश को भजें तो वह हाथी का मुख लगाकर पशु काय में प्रगट है।

इन्द्र को भजते हैं जो सुरलोक में निवास करता है तो वह भी मृत्यु को प्राप्त होता है, वह भी अमर नहीं है ।

देवी को सब लोग भजते हैं, यदि उसको भजते हैं तो उसके बकरों की बलि चढ़ती है जो कि महा अयोग्य कृत्य है।

शीतला को मन से पूजते हैं तो वह तो पुत्रों को रोगग्रस्त कर मार डालती है।

इसप्रकार संसार जिनका भक्त है वह कोई भी पूर्ण/अपार/असीम नहीं पाया गया।

द्यानतराय कहते हैं कि केवल आत्मा को भजो जो कि सुख का आधार है / वह ही एक प्रभु है, बाकी सब आकाश-पुष्प की भाँति ही हैं।
Close

Play Jain Bhajan / Pooja / Path

Radio Next Audio

देव click to expand contents

शास्त्र click to expand contents

गुरु click to expand contents

कल्याणक click to expand contents

अध्यात्म click to expand contents

पं दौलतराम कृत click to expand contents

पं भागचंद कृत click to expand contents

पं द्यानतराय कृत click to expand contents

पं सौभाग्यमल कृत click to expand contents

पं भूधरदास कृत click to expand contents

पं बुधजन कृत click to expand contents

पर्व click to expand contents

चौबीस तीर्थंकर click to expand contents

दस धर्म click to expand contents

selected click to expand contents

नित्य पूजा click to expand contents

तीर्थंकर click to expand contents

पाठ click to expand contents

स्तोत्र click to expand contents

द्रव्यानुयोग click to expand contents

द्रव्यानुयोग click to expand contents

द्रव्यानुयोग click to expand contents

loading