किये भव भव भव में फेरे,विलासी होके नित मैंने, प्रभु मेरे हो ।हुवा रत मैं इनमें ऐसा, (2)कि तुझे विसरा मैंने, प्रभु मेरे हो ।किये भव भव भव में फेरे ॥१॥तजी आगम हित की वाणी, (2)कि योगियों का संग छोड़ा, प्रभु मेरे हो ।किये भव भव भव में फेरे ॥२॥ओ ... मिले साथी अधम अधर्मी (2),कि भोग रोग अंग दौड़ा, प्रभु मेरे हो ।किये भव भव भव में फेरे ॥३॥है आज घड़ी शुभ आई, (2)कि दर्शन प्राप्त हुये, प्रभु मेरे हो ।किये भव भव भव में फेरे ॥४॥ओ .. घट ज्ञान रवि चमका है (2),कि तिमिर समाप्त हुये, प्रभु मेरे हो ।किये भव भव भव में फेरे ॥५॥ओ .. जुड़ी आतम हित की कड़ियाँ (2),कि जड़ से प्रीत उठी, प्रभु मेरे हो ।किये भव भव भव में फेरे ॥६॥'सौभाग्य' शज सुख पाऊँ (2),कि तुझसे प्रीत जुड़ी, प्रभु मेरे हो ।किये भव भव भव में फेरे ॥७॥