मानी मनुआ, मद की बातें क्यों सुहाती है,मद तो सुख का घाती है ।तज दे अभिमान गैली, नरकों ले जाती है ॥मद तो सुख का घाती है ॥टेक॥भूल है तेरी भूल बड़ी, भूल में आयु फूल झड़ी ।अब भी तज दे मान कहा, निजरूप परख ले शुभ दिन है ।जब ज्ञान सखा है हितकारी ।तज दे अभिमान गैली, नरकों ले जाती है ॥मद तो सुख का घाती है ॥1॥बैठ प्रभु की शरण जरा, है ये नश्वर भोग धरा ।वीतराग पथ धार खरा, 'सौभाग्य' मिलेगी शिवरमणी ।जो अक्षय अमर अखंडित है ।तज दे अभिमान गैली, नरकों ले जाती है ॥मद तो सुख का घाती है ॥2॥