ओ वीर जिन जी, तुम्हें हम पुकारते, तुम्हें हम पुकारते, शरण में है आये, हम शरण में रहेंगे। गतियों में रूलते डुलते, थके आज हार के, थके आज हार के, शरण में हैं आये, हम शरण में रहेंगे ॥टेक॥हम भूले थे तुमको, हमे जी वो याद याद आती है, लख ध्यानासन तुमको, परम शीतलता आती है, मिटे दुख सारे ओ जिनवर, छवि को निहारके, छवि को निहार के, शरण में हैं आये, हम शरण में रहेंगे ॥ओ...1॥विमल वैराग्य की ज्योति, पतित पावन तुम्हीं से है, स्व पर का बोध हितकारक, झलकता बस तुम्हीं से है, बनें आपसे हो जिनवर, तेरे गुण चितार के, तेरे गुण चितार के, शरण में हैं आये, हम शरण में रहेंगे ॥ओ...२॥अब मन के मंदिर में, प्रभु जी तुमको बिठाया है, मोक्ष 'सौभाग्य' पाने का, तुम्हें जी साधन जुटाया है,सुनी साख तुम हो जिनवर, भव से उबारते, भव से उबारते, शरण में हैं आये, हम शरण में रहेंगे ॥ओ...३॥