तेरे दर्शन से मेरा दिल खिल गया ।मुक्ति के महल का सुराज्य मिल गया ।आतम के सुज्ञान का सुभान हो गया,भव का विनाशी तत्त्वज्ञान हो गया ॥टेर॥तेरी सच्ची प्रीत की यही है निशानी ।भोगों से छूट बने आतम सुध्यानी ।कर्मों की जीत का सुसाज मिल गया ॥मुक्ति के॥तेरी परतीत हरे व्याधियाँ पुरानी ।जामन मरण हर दे शिवरानी ।प्रभो सुख शान्ति सुमन आज खिल गया ॥मुक्ति के॥ज्ञानानन्द अतुल धन राशी ।सिद्ध समान वरूँ अविनाशी ।यही 'सौभाग्य' शिवराज मिल गया ॥मुक्ति के॥