त्रिशला के नन्द तुम्हें वंदना हमारी है ॥दुनिया के जीव सारे तुम को निहार रहे ।पल पल पुकार रहे, हितकर चितार रहे ॥कोई कहे वीर प्रभु कोई वर्द्धमान कहे ।सनमति पुकार कहे तूं ही उपकारी है ॥१॥मंगल उपदेश तेरा, कर्मो का काटे घेरा ।भव भव का मेटे फेरा, शिवपुर में डाले डेरा ॥आत्म सुबोध करें, रत्नत्रय चित्त धरें ।शिव तिय 'सौभाग्य' वरें ये ही दिल धारी हैं ॥२॥