तुम जिनवर का गुण गावो, यह औसर फेर न पावो ।मानुष भव जन्म दुहेला, दुर्लभ सत्संगति मेला ॥टेक॥यह बात भली बनि आई, भगवान भजो मेरे भाई ।पहिले चित चीर सम्हारो, कामादिक कीच उतारो ॥१॥फिर प्रीत फिटकडी दीजे, तब सुमरन रंग रंगीजे ।धन जोड भरा जो कूवा, परिवार बढ़े क्या हुआ ॥२॥हस्ती चढ क्या कर लीना, प्रभु भज्न बिना घिक् जीना ।'भूधर' पैड़ी पग धरिये, तब चढने की सुध करिये ॥३॥