वे कोई अजब तमासा देख्या बीच जहान वेजोर तमासा सुपने का सा ॥टेक॥एकौ के घर मंगल गावै, पूगी मन की आसा ।एक वियोग मरे बहु रोवें, भरि-भरि नैन निरासा ॥वे कोई अजब तमासा देख्या बीच जहान वे ॥१॥तेज तुरंगनि पै चढ़ि चलते, पहिरे मलमल खासा ।एक भये नागे अति डोलैं ना कोई देय दिलासा ॥वे कोई अजब तमासा देख्या बीच जहान वे ॥२॥तरकैं राजतखत पर बैठा, या खुशवक्तर खुलासा ।ठीक दुपहरी मुद्दत आई, जंगल कीनो बासा ॥वे कोई अजब तमासा देख्या बीच जहान वे ॥३॥तन धन अथिर निहायत, जगमें पानी माहिं पतासा ।'भूधर' इनका गरव करें जे धिक तिनका जनमासा ॥वे कोई अजब तमासा देख्या बीच जहान वे ॥४॥
अर्थ : अरे, इस संसार में एक अजब तमाशा देखा, जो सपने की भाँति हैं ।
एक के घर मनोवांछा पूर्ण होती है, मंगल गीत गाए जाते हैं और दूसरे के घर वियोग होता है तो रुदन होता है, उनकी आँखों में निराशा दिखाई देती है।
एक (व्यक्ति) तेज धोड़े पर, अच्छी मखमली पोशाक पहिने चलता है, तो दूसरा निर्धन होकर नग्न चूमता है, उसको कोई किसी प्रकार की सांत्वना, सहारा या ढाढस नहीं देता।
एक व्यक्ति प्रात:काल राजसिंहासन पर आसीन था, उस समय अत्यन्त खुश था । दोपहर होते ही वह घड़ी आ गई कि उसको सब वैभव छोड़कर जंगल में रहने को विवश होना पड़ा।
इस जगत में तन- धन आदि सब जल में बतासे की भाँति है, इन पर जो कोई गर्व करता है, उसका जन्म धिक्कार है, तिरस्कृत हैं।