राग : आसावरी जोगिया जल्द तेतालोथे काहे जावो गिरनारी
हे आतमा! देखी दुति तोरी रे॥टेक॥निज को ज्ञात लोक को ज्ञाता, शक्ति नहीं थोरी रे ॥१॥जैसी जोति सिद्ध जिनवरमै, तैसी ही मोरी रे ॥२॥जड़ नहिं हुवो फिरै जड़के वसि, कै जड़की जोरी रे ॥३॥जगके काजि करन जग टहलै, 'बुधजन' मति भोरी रे ॥४॥