अब तू जान रे चेतन जान, तेरी होवत है नितहान ।रथ बाजि करी असवारी, नाना विधि भोग तयारी ।सुंदर तिय सेज सँवारी, तन रोग भयो या ख्वारी ॥अब तू जान रे चेतन जान, तेरी होवत है नितहान ॥१॥ऊंचे गढ़ महल बनाये, बहु तोप सुभट रखवाये ।जहाँ रुपया मुहर धराये, सब छौड़ि चले जम आये ॥अब तू जान रे चेतन जान, तेरी होवत है नितहान ॥२॥भूखा ह्वै खानो लागै, छाया पदभूषण पागै ।सत भये सहस लखि मांगै या तिसना नांही भागै ॥अब तू जान रे चेतन जान, तेरी होवत है नितहान ॥३॥ये अथिर सौंज परिवारौ, थिर चेतन क्यों न सम्हारौ ।'बुधजन' ममता सब टारौ, सब आपा आप सुधारौ ॥अब तू जान रे चेतन जान, तेरी होवत है नितहान ॥४॥