आगैं कहा करसी भैया, आ जासी जब काल रे ।ह्याँ तौ तैंनैं पोल मचाई, व्हां तौ होय संभाल रे ॥टेक॥ झूठ कपट करि जीव सताये, हर्या पराया माल रे ।सम्पति सेती धाप्या नाहीं, तकी विरानी बाल रे ॥आगैं कहा करसी भैया, आ जासी जब काल रे ॥१॥सदा भोग मैं मगन रह्या तू, लख्या नहीं निज हाल रे ।सुमरन दान किया नहिं भाई, हो जासी पैमाल रे ॥आगैं कहा करसी भैया, आ जासी जब काल रे ॥२॥जोबन में जुबती संग भूल्या, भूल्या जब था बाल रे ।अब हूँ धारो 'बुधजन' समता, सदा रहहु खुशहाल रे ॥आगैं कहा करसी भैया, आ जासी जब काल रे ॥३॥