आज मनरी बनी छै जिनराज
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राग - कालिंगड़ो, मोहे भूल गए साँवरिया
आज मनरी बनी छै जिनराज
थांको ही सुमरन, थांको ही पूजन, थांको तत्त्व विचार ॥
थांके बिछुड़े अति दुख पायौ, मोपै कह्यो न जाय ।
अब सनमुख तुम नयनौं निरखे, धन्य मनुष परजाय ॥
आज मनरी बनी छै जिनराज ॥१॥
आजहिं पातक नास्यौ मेरौ, ऊतरस्यौं भवपार ।
यह प्रतीत 'बुधजन' उर आई, लेस्यौं शिवसुखसार ॥
आज मनरी बनी छै जिनराज ॥२॥