गुरु दयाल तेरा दुःख
Karaoke :
गुरु दयाल तेरा दुःख लखिकैं, सुनलै जो फरमावै है ॥टेक॥
तो में तेरा जतन बताबै, लोभ कछु नहि चावै है ॥१॥
पर स्वभाव को मोर्या चाहै, अपना उसा बनावै है ।
सो कबहूं हुवा न होसी, नाहक रोग लगावै है ॥2॥
खोटी खरी जस करी कमाई, तैसी तेरे आवै है ।
चिन्ता आगि उठाय हिया मैं नाहक जान जलावै है ॥3॥
पर अपनावै सो दुख पावै, 'बुधजन' ऐसे गावै है ।
पर को त्यागि आप थिर तिष्ठै, सो अविचल सुख पावै है ॥4॥