तेरो करिलै काज बखत फिर ना ।नर भव तेरे वश चालत है, फिर पर भव परवश परना ॥टेक॥आन अचानक कंठ दवैगो, तब तोकों नहीं शरना ।यातैं विलम न ल्याय बावरे, अबही कर जो है करना ॥१॥जग जीवन की दया धार उर, दान सूपात्रनि कर धरना ।जिनवर पूजि शास्त्र सुनि नितप्रति, 'बुधजन' संवर आचरना ॥२॥