भज जिन चतुर्विंशति नाम
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तर्ज : कबै निर्ग्रंथ स्वरूप
भज जिन चतुर्विंशति नाम ॥
जे भजे ते उतरि भवदधि, लयौ शिवसुख धाम ॥टेक॥
ऋषभ अजित संभव, अभिनंदन अभिराम ।
सुमति पदम सुपास चंद्रा, पुष्पदंत प्रनाम ॥
भज जिन चतुर्विंशति नाम ॥१॥
शीत श्रेयान् बासु पूजा, विमल नन्त सुठाम ।
धर्म शांति जु कुन्थु अरहा, मल्लि राखें माम ॥
भज जिन चतुर्विंशति नाम ॥२॥
मुनिसुव्रत नमि नेमिनाथा, पास सन्मति स्वाम
राखि निश्चयजपौ 'बुधजन', पुरै सबकी काम ॥
भज जिन चतुर्विंशति नाम ॥३॥