मुनि बन आये जी बना ।शिव बनरी ब्याहन कौं उमगे, मोहित भविक जना ॥टेक॥रत्नत्रय सिर सेहरा बांधे, सजि संवर बसना ।संग बराती द्वादश भावन, अरू दश धर्म पना ॥मुनि बन आये जी बना ॥१॥सुमति नारी मिलि मंगल गावत, अजपा गीत घना ।राग-दोष की अतिशबाजी, छुटत अगनि-कना ॥मुनि बन आये जी बना ॥२॥दुविधि कर्म का दान बटत है, तोषित लोकमना ।शुक्लध्यान की अगनि जला करि, होमैं कर्मघना ॥मुनि बन आये जी बना ॥३॥शुभ बेल्यां शिव बनरि बरी मुनि, अद्भुत हरष बना ।निज मंदिर में निश्चल राजत, 'बुधजन' त्याग घना ॥मुनि बन आये जी बना ॥४॥