निजपुर में आज मची रे होरी ॥टेक॥उमगी चिदानंद जी इत आये, इत आई सुमति गोरी ॥लोकलाज कुलकानि गमाई, ज्ञान गुलाल भरी झोरीसमकित केसर रंग बनायो, चारित की पिचुकी छोरी ॥गावत अजपा गान मनोहर, अनहद झरसौं वरस्यो रीदेखन आये बुधजन भीगे, निरख्यौ ख्याल अनोखो री ॥
अर्थ : अहो, आज निजपुर (आत्मनगर) में होली मची हुई है। देखो, इधर चिदानन्दजी उमंग कर आ रहे हैं और उधर से सुमति गोरी आ रही है। इन्होंने लोकलाज, कुलमर्यादा छोड़कर ज्ञानगुलाल की झोली भर ली है। सम्यक्त्वरूपी केसर का रंग भरकर चारित्र की पिचकारी छोड़ रहे हैं। अजपा गान सुन्दर गा रहे हैं, अनहद नाद बरस रहा है। देखनेवाले ज्ञानी लोग भी इस अनुपम होली को देख कर इसमें भीग गये हैं।