अरे उड़ चला हंस सैलानी ॥टेक॥मानसरोवर सूना छोड़ा, छोड़ा दाना पानी ।जिसको अपना मान रहा था, सब हो गए बेगानी ॥अरे उड़ चला हंस सैलानी ॥१॥राज-पाट सब तज गए राजा, कुछ न ले गई रानी ।बैरागी से रह गए अकेले, रह गई लिखी कहानी ॥अरे उड़ चला हंस सैलानी ॥२॥पतझड़ हुए फूल कुम्लाहे, फल की नाहीं निशानी ।बैठा पंछी हुआ हैराना, हो गई आनाकानी ॥अरे उड़ चला हंस सैलानी ॥३॥माता बाप सुता सुत रोवे, रोवे नार निशानी ।जग के नाते रह गए जग में, काल ने एक ना मानी ॥अरे उड़ चला हंस सैलानी ॥४॥जिसने बोया उसने काटा, जग की रीति पुरानी ।चिड़िया चुग गई खेत हे प्यारे, क्या पछताए प्राणी ॥अरे उड़ चला हंस सैलानी ॥५॥मंगत त्याग मोह की निद्रा, सोया चादर ताने ।अब सुन ले गुरुदेव सुनाए, दुर्लभ श्री जिनवाणी ॥अरे उड़ चला हंस सैलानी ॥६॥