अमोलक मनुष जनम प्यारे, भूल विषयन में मत हारे ॥टेक॥चौरासी लख योनि में प्यारे, भ्रमत फिरा चहुं ओर ।नरक स्वर्ग तिर्यंच में प्यारे, पाए दुख अति घोर ॥कहीं नहीं सुख पायो प्यारे, भूल विषयन में मत हारे ॥१॥धन दे तन को रखिये प्यारे, तन दे रखिये लाज ।धनदे तनद लाज दे प्यारे, एक धरम के काज ॥योंही मुनिजन कह गए सारे, भूल विषयन में मत हारे ॥२॥यही धर्म का सार है प्यारे, कर नित पर उपकार ।तज स्वारथ परमार्थ को प्यारे, भजले बारंबार ॥'न्यामत' हो भवदधि पारे, भूल विषयन में मत हारे अमोलक मनुष जनम प्यारे, भूल विषयन में मत हारे ॥३॥