कर सकल विभाव अभाव, मिटा दो बिकलपता मन की ॥टेक॥आप लखे आपमें आपा गत ब्योहारन की ।तर्क वितर्क तजो इसकी और भेद बिज्ञानन की ॥कर सकल विभाव अभाव, मिटा दो बिकलपता मन की ॥१॥यह परमातम यह मम आतम, बात बिभावन की ।हरो हरो बुधनय प्रमाण की और निक्षेपन की ॥कर सकल विभाव अभाव, मिटा दो बिकलपता मन की ॥2॥ज्ञान चरण की बिकलप छोड़ो छोड़ो दर्शन की ।'न्यामत' पुद्गल हो पुद्गल चेतन शक्ती चेतन की ॥कर सकल विभाव अभाव, मिटा दो बिकलपता मन की॥3॥