चेतो चेतोरे चेतनवा, मानुष जनम रतन मत खोय ।जनम रतन मत खोय, मग में कांटे शूल न बोय ॥टेक॥मत ना रागी देव मनावे, मत मिथ्या बाणी मन लावे ।विष अमृत ना होय - २ चेतो चेतोरे चेतनवा, मानुष जनम रतन मत खोय ॥१॥सुन चेतन जिनमत की बाणी, हितकारी शिवपद की दानी ।पाप करम मल धोय -२चेतो चेतोरे चेतनवा, मानुष जनम रतन मत खोय ॥२॥छिन छिनमें आयु घट जावे, वक्त गया फिर हाथ न आवे ।जाग पड़ा मत सोय - २चेतो चेतोरे चेतनवा, मानुष जनम रतन मत खोय ॥३॥'न्यामत' सुनले सीख सियानी, जो भाषी जिन केवलज्ञानी ।भव भव में सुख होय - २चेतो चेतोरे चेतनवा, मानुष जनम रतन मत खोय ॥४॥